The Railway Men a true story

The Railway Men a true story

The Railway Men a true story :- तीन साल की रिसर्च,मेहनत और लगन के बाद जब आयुष ने स्क्रीनप्ले डायरेक्टर शिव को थमाया तो ये शिव की जिम्मेदारी थी कि वो दर्शको तक ये बात पहुंचाए कि इस सीरीज के स्क्रीनप्ले पर तीन साल तक जिम्मेदारी से कड़ी मेहनत की गई है। अगला पड़ाव था कास्टिंग। आदित्य चोपड़ा इतनी हैसियत रखते है कि वो इंडस्ट्री के सभी बड़े नाम इस प्रोजेक्ट के साथ जोड़ सकते थे। कोई और स्क्रिप्ट होती तो शायद कोई मना भी कर दे, पर ऐसी स्क्रिप्ट को मना करने के लिए या तो आपके डेट की दिक्कत होगी या फिर अक्ल की। आयुष की इस कहानी में कहने को चार मुख्य किरदार थे।

इफ्तिकार सिद्दीकी, जो कि स्टेशन मास्टर है, और उसके कंधो पर पूरे स्टेशन के चाल चलन की जिम्मेदारी है। इमाद रियाज, जो कार्बाइड फैक्ट्री का पुराना इम्प्लोई है और उसे नई नई रेलवे में लोको पायलट की नौकरी मिली है। कांस्टेबल, जो कौन है कहा से आया है ये नही पता, सिर्फ ये पता है कि वो क्यू आया है। रति पांडे, जो की जीएम के पद पर है, और किसी भी रेलवे स्टेशन पर अचानक जांच परख के लिए पहुंचने के लिए बदनाम है। इफ्तिकार सिद्दीकी के रोल में ज्यादा परते नही थी, वो जैसा है वैसा दिखता है, वैसा बोलता है। उसके अपने पछतावे है, पर वो उसके अंदर ही कही दफन है। वो अपनी जिम्मेदारी समझता है, दूसरो को जिम्मेदारी समझाना भी जानता है। इस रोल के लिए ऐसे एक्टर को लिया गया जो एफर्टलेस एक्टिंग के लिए जाना जाता है। केके मेनन। The Railway Men a true story

इमाद रियाज का किरदार ऐसा था जिसे पहले सीन में हम एक बस्ती के बेहाल और बेतरतीब कमरे में अपनी साइज से बड़ा स्वेटर पहने हुए देखते है।हम अभी इमाद की गरीबी का अंदाजा लगा ही रहे होते है कि हम उसे एक बड़ी कंपनी के खिलाफ बिना डरे झिझके रिकॉर्डेड बयान देते हुए देखते है। ये किरदार अपनी बेबसी और मजबूरी समेटे हुए हमारे जहन को पहले सीन से एहसास दिलाता है कि वो क्या है, और क्या कर सकता है। इमाद का किरदार चिल्लाता नही कि वो सेल्फलेस है, या जान दे देगा दूसरो के लिए पर, उसकी एंट्री के बाद से ही हमे यकीन हो जाता है कि ये लड़का कुछ भी कर गुजरेगा। पहले सीन से ऐसा इंपैक्ट इसलिए पड़ता है क्युकी दर्शक इमाद रियाज के किरदार में बाबिल को देख रहे होते है। इससे पहले की बाबिल अपने एक्सेंट की बारीकी और हाव भाव से अपने अभिनय की महक छोड़े, वो हमारे लिए इरफान खान का बेटा है, और एक अलग ही लगाव, मुहब्बत हम अपने अंदर महसूस करते है जो उसके किरदार को यकीनी बनाने में और हमारे दिल में उतरने में मदद करता है। The Railway Men a true story

तीसरा किरदार बलवंत यादव ऐसा किरदार है, जिसके बारे में हमे डरावनी बाते सुनने को ही मिलती है। ये एक चालाक और निडर किरदार है, जिसे अपनी जिंदगी का परपज मिल चुका है। और वो इस वजह से किसी पर रहम नहीं करता न ही उसे अपने किए का किसी तरह का अफसोस है। उसकी जिंदगी का एक ही परपज है सर्वाइवल, ऐसा करने के लिए किसी की भी लाश पर चढ़ना हो उसे गुरेज नहीं। पर इस किरदार के बारे में ज्यादातर घिनौनी बाते हमे सिर्फ सुनाई जाती है। सिरीज में सिवाय बाथरूम सीन के, कही भी इस किरदार को खुले तौर पर खून खराबा करते नही दिखाया गया है। The Railway Men a true story

तो एक दर्शक के तौर पर हमारे दिमाग में उसकी वो छवि है, जो उसके स्क्रीन पर कदम रखते ही हम सुनते आ रहे है, यानी एक शक का बीज है, जो सिरीज मेकर ने हमारे दिमाग में डाल दिया है,ताकि हम जहनी तौर पर ये उम्मीद करते रहे कि ये कुछ अपनी ख्याति अनुरूप करेगा। ये एक ऐसा किरदार था, जो जब स्क्रीन पर होता, हमे कुछ बुरे का अंदेशा रहता, पर किसी किसी सीन में ये किरदार हमे बहुत मजबूर, अकेला और थका हुआ दिखाई देता। इस किरदार को कोई भी काबिल एक्टर निभा सकता था पर देवयेंदु का मुन्ना भईया का रुतबा यहां थोड़ी बहुत हेल्प कर रहा था। हम जानते है कि मुन्ना भईया कितना विध्वंसक इंसान है, पर हमे ये भी पता है कि नितांत अकेले में मुन्ना भईया का किरदार मिर्जापुर सिरीज का सबसे दुखदाई किरदार है। टाइपकास्ट होना किसी एक्टर के लिए पाप की तरह है, पर कई किरदारों में ये चीज आपके काम आती है कि दर्शक पहले से अपने जहन में एक चेहरा बनाकर आपको देखने आए हो | The Railway Men a true story

चौथा किरदार है जीएम रति पांडे का। ये किरदार दिखने में सपाट लगता है, पर है नही। अगर आप चारो किरदारों को देखते है तो इफ्तीकार सिद्दीकी का जो फर्ज था वो उसने किया। वो उस घटना के वक्त मौजूद भी था और जिम्मेदार भी। इमाद रियाज का किरदार कार्बाइड फैक्ट्री और भोपाल स्टेशन के बीच की कड़ी था। क्युकी इस सिरीज का मकसद ये बताना था कि इंसानियत कितनी गहरी हमारे अंदर धंसी है जो हमेशा बुरे वक्त में सामने आ जाती हैं। तो इस मकसद को समझाने के लिए ये दो किरदार बलवंत यादव और जीएम रति पांडे बहुत जरूरी थे।क्युकी इमाद के पास एक मकसद था, सिद्दीकी के ऊपर जिम्मेदारी थी। The Railway Men a true story

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पर बाकी दोनो के साथ ऐसा नही था। बलवंत यादव लालच के लिए आया था, वो सपने में भी सोच नही सकता था कि वो लूटा हुआ पैसा लौटा सकता है। पर फिर भी बलवंत यादव वहा उस वक्त मौजूद था, देख रहा था आंखो से सबको तड़पते हुए। पर रति पांडे को बिल्कुल भनक नहीं थी कि वहा क्या हो रहा है, और जब उसे पता चला तब भी हालात की वीभत्सता का अंदाजा नही था। फिर भी रति पांडे ने वही किया, जो सिद्दीकी, इमाद और बलवंत यादव कर रहे थे। ये किरदार वो चौथी कड़ी था कहानी की, जिसमे ये बताने की कोशिश की गई है की इंसान पर जब इंसानियत हावी होती है, तो वो उस आग में भी कूद सकता है, जो उसके रास्ते के उल्टी दिशा में लगी हुई है। इस किरदार को आर माधवन को निभाने के किए चुना गया था, और आर माधवन की अब तक की इमेज ऐसी है कि वो जो भी आत्मघाती फैसले लेता है, दर्शको को यकीन होता है है कि ये किरदार ऐसा कर सकता है जबकि हम उस किरदार को आधी सिरीज के बाद देख रहे है, और हमे बिलकुल आइडिया नही है कि वो क्या है और कैसा है। The Railway Men a true story