Ms Dhoni Wicket Keeping Record
Ms Dhoni Wicket Keeping Record: बहुत से लोग धोनिया को एक दम अवतार मानते है, ऐसा इंसान जिसने अपने जीवन में कभी कोई गलती की ही न हो, ऐसा कप्तान जिसका कभी कोई फैसला गलत न हुआ हो, ऐसा बैट्समैन जिससे कभी कोई बाल डॉट न हुई वो, ऐसा विकेटकीपर जिससे कभी कोई स्टंपिंग न मिस हुई हो न ही कोई कैच छूटा हो। कुछ भक्त ऐसे भी है धोनियां के जो आज भी किसी मैच में भारत की जीत को या किसी खिलाड़ी के अच्छे खेल को सीधा धोनी से कनेक्ट कर देते है। और यही वजह है कि जिस प्लेयर को निर्विरोध सम्मान मिलना चाहिए था लोग बाग उसी की बुराई करने लगे है, मजा लेने लगे है।
जबकि हकीकत ये है कि क्रिकेट देखने और समझने वाला हर इंसान जानता है कि धोनी क्या है आज क्या कर के गया है भारतीय क्रिकेट में। ये बात वो ही समझेंगे जिन्होंने किसी मैच के दौरान बारिश होने पर बार बार बारिश रुकने की दुआएं मांगी है, वो बिलकुल नही समझेंगे जो मैच के उस प्वाइंट पर आकर सबसे आगे टीवी के बैठ जाते है जब इंडिया या कोई प्लेयर अच्छा खेलने लगे। धोनिया क्या चीज है इसको वही समझ सकता है जिसने पिछले टेस्ट मैच के चौथे दिन मैच के एकतरफा हो जाने के बावजूद पांचवे दिन इस भरोसे से मैच देखना चालू किया था की शायद कुछ हो जाए। आदमी ऐसा बुना गया है कि वो उसी चीज की कदर करना जानता है जो या तो उसको आसानी से दे दी जाए या फिर उससे छीन ली जाए। इंसान तब भी अहमियत नही समझता जब उससे चांदी छीन के सोना थमा दिया जाए। Ms Dhoni Wicket Keeping Record
2007 का वक्त था, 2003 का वर्ल्ड कप का फाइनल हार चुके थे चार साल पहले हम लोग पर मन इस बात पर प्रसन्न था कि इस बार तो और अच्छी खासी टीम बन कर गई है, फाइनल खेलना तो तय है।
ग्रुप में तीन मैच था, पहला बांग्लादेश फिर बरमूडा और आखिरी श्री लंका। एक दम नरम चारा वाला ग्रुप था, वर्स्ट से वर्स्ट यही सोच के बैठे थे हम लोग कि श्री लंका से हार जायेंगे।
पर पहले मैच में कलेजा फट गया फैंस का, बांग्लादेश हरा दिया था बे, कांटो तो खून नहीं, कुछ समझ ही नही आ रहा था कि किसको कोसे किसको गरियाया जाए। पनाह मांगते मांगते अगला मैच आया, सब ज्ञानी लोग बोले कि ई वाले मैच में बड़ा स्कोर चाहिए, नही तो रन रेट में मामला गड़बड़ा जायेगा क्युकी बांग्लादेश भी हरा देगा बरमूडा को जब हम लोग को हरा दिया है तो। सचिन सहवाग उतरे फिर, सहवाग सनका हुआ था बांग्लादेश वाले मैच की वजह से, इतना मारा कि चार सौ रन बन गए। जानता जनार्दन का कलेजा ठंडा हुआ कि कभी कभी हो जाता है, पर जान प्राण बहुत बाकी है अपन टीम के पास। Ms Dhoni Wicket Keeping Record
आखिरी मैच बचा लंका से, दुकदुकी मची हुई थी सीने में कि कही गड़बड़ा न जाए मामला। और आखिर में गड़बड़ा ही गया, लंका वाले सन 96 से हम लोग का गलत मौके पर दिल तोड़ते आए थे तो ई बार भी लंका लगा के माने। अपनी फेवरेट और बहुते मजबूत टीम हो गई बाहर। दुख बहुत हुआ, फिर वही सब आया मन में कि ई किरकेट फिरकेट बेकार चीज है, इतना मन से टीम का गाजा बाजा के साथ सपोर्ट करो और इन लोग बताओ बांग्लादेश से हार जा रहे है।
घर की लाइट कटने पर जैसे आदमी पहले पड़ोस में चेक करता है और उसके यहां भी अंधेरा देखकर अपना दुख आधा कर लेता है, बस उसी तरह हम लोग देखे पाकिस्तान की तरफ, वो लोग तो बेचारे वर्ल्ड कप से बाहर गए तो गए, पर एक आदमी कम हो गया उनका जाते टाइम, हम लोग भी सोचे चलो मैदाने में जलील हुए है हम लोग, कम से कम विदेश में जाकर कोर्ट कचहरी का झंझट तो नही कर के आए लड़के हमारे। पर फिर भी आठ दस लोग थे अपने देश में जो कुछ ज्यादा व्यथित थे। वो लोग गए तो कही पुतला फूंके लगे तो किसी को कुछ नही मिला तो प्लेयर लोग के घर पर पत्थर फेंकने लगे थे। जिधर देखो एक दम मातम वाली स्थिति, सैलून में, चाय की दुकान पे, बस में ट्रेन में जो जहा बैठा था वो वही बैठे के कभी चैपल कभी सचिन तो कभी द्रविड़ को कोसे जा रहा था तो कुछ लोग दादा वाली टीम के कसीदे पढ़ने में लगे थे। Ms Dhoni Wicket Keeping Record
उसी के कुछ वक्त बाद अखबार में कही खबर छपी t 20 वर्ल्ड कप हो रहा था तो अपने यहां से भी टीम जा रही है।
सचिन द्रविड़ और गांगुली की त्रिमूर्ति स्वेच्छा से आराम करेगी और सहवाग को घर के बड़े बुजुर्ग की तरह 23–24 साल के लौंडे लफाड़ो के साथ वर्ल्ड कप खेले खातिर भेज दिया गया।
सब पूछे कौन कप्तान है? सहवाग?
अखबार पढ़ने वाला बोला, नही धोनिया को कप्तान बनाए है सब। सुनने वाले ने यकीन न करने के मूड में पूछा, “कौन धोनिया? ऊ जो बाल रखा है पट्टा वाला? ऊ का कप्तानी करेगा? ऊ तो बल्ला ऐसे चलाता है जैसे लाठी भाज रहा है, सहवाग जैसा बड़ा बुजुर्ग के होते ऊ कल के लौंडा को सब कप्तान बनाए है, बताओ कितना अपमान की बात है ई सहवाग खातिर, वही रहा जवान जौन बरमूडा के मार के छील दिया रहा, जाए दा, हरिहे तो पता लगी।”
छब्बीस साल बत्तीस दिन का धोनी सहवाग का कप्तान बनके वर्ल्ड कप के मैदान में पहुंच चुका था, पहला मैच था स्कॉटलैंड से, टॉस भी नही उड़ पाया। और बहुत ज्यादा लोग देखने भी न बैठे थे क्युकी सहवाग युवराज के अलावा कोई नामी प्लेयर गया नही था उस वर्ल्ड कप में। अगला मैच था पाकिस्तान से, पाकिस्तान से अगर लूडो भी हो तो आधा देश रुक कर देखने बैठ जाए, ये तो क्रिकेट मैच था, पहला मैच कप्तानी का और दुनिया के सबसे ज्यादा प्रेशर वाला मैच। मैच शुरू हुआ, इंडिया वाले खेलना चालू किए और सहवाग गंभीर दुनो जनी को मोहम्मद आसिफ ले बीते। Ms Dhoni Wicket Keeping Record
मैच देखकर लोगो में से आधे ने कहा कि इहो मैचवा हरिये सब के सब। खैर उथप्पा पचासा मार दिया और फिर धोनी भी टेक टाक के 33 रन बनाए और इंडिया का स्कोर रहा 141।
जवाब में उतर चढ़ाव का पूरा खेल चलता रहा और सत्रह ओवर के बाद चाहिए था तीन ओवर में 42 रन। अफरीदी खेल रहा था और उस वक्त ऐसा लगता था की t 20 का फॉर्मेट बनाया ही अफरीदी के लिए गया है। धोनी ने हरभजन को गेंद थमाई और फिर भज्जी ने अफरीदी को आउट करके अपना काम कर लिया। Ms Dhoni Wicket Keeping Record
आखिरी दो ओवर में 29 रन चाहिए थे, अगरकर फेकने आए और मिस्बाह तबियत से मारा उनको, 17 रन अननीसवे ओवर से बने और अब चाहिए था आखिरी ओवर में बारह रन, धोनी ने गेंद थमा दी श्रीशांत को। पहले चार गेंद पर मिस्बाह ने मैच टाई कर दिया, बची दो गेंदों पर बस छू के भागना था मिस्बाह को। और उस वक्त कोई महा मंद बुद्धि इंसान होता तो ही इंडिया के जीतने पर दाव लगाता। Ms Dhoni Wicket Keeping Record
एक 26 साल का लड़का जिसकी कप्तानी का पहला मैच है, जिसने कुछ महीने पहले ही देखा और जाना था कि भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के गुस्से से सचिन जैसा लीजेंड और द्रविड़ जैसा गाय आदमी भी नही बच पाया , जिसे अच्छे से पता था कि पाकिस्तान से हारने का क्या मतलब होता है? वो 26 साल का लड़का 2 गेंदों पर एक रन वाली सिचुएशन में भी नजर घुमाकर फील्ड प्लेसमेंट की तरफ सपाट चेहरे से देख रहा था। श्रीशांत ने जब धोनी की आंखों में दिखा तो उसे न तो डर दिखा न किसी तरह की बेयकीनी। हार के मुहाने पर खड़ा वो कप्तान बिलकुल ऐसे मिजाज से कप्तानी कर रहा था जैसे पूरे मैदान में अकेला वो ऐसा है जिसपर कोई दबाव नहीं है। चिंता की एक हल्की लकीर भी धोनिया के माथे पर नही थी। Ms Dhoni Wicket Keeping Record
विकेटकीपिंग में वो वहा खड़ा था जहा पर श्रीशांत बॉल फेकने वाला था, बिलकुल ऑफ स्टंप की वाइड की सीध में। दो गेंदों पर एक रन चाहिए था, कोई भी बैट्समैन नींद में भी छू कर एक रन ले लेता, करियर के आने वाले दिनों में एक बैट्समैन ने तो कीपर के हाथ में दो दो रन लेकर दिखाए थे।
अगली गेंद श्रीशांत फेकने के लिए अपने रनअप पर चला तो पूरी पाकिस्तान को टीम अपने पैरो पर खड़ी थी दौड़ कर मिस्बाह को इस मैच पलटने वाली पारी की शाबाशी देने के लिए, श्रीशांत ने गेंद फेकी और गेंद मिस्बाह को बीट करते हुए बिलकुल वहीं गई जहा धोनी खड़ा था,गेंद दस्तानों में आकर रूकी भी नही थी कि धोनी के कदम आगे की ओर बढ़े और मिस्बाह की तरफ देखकर धोनी ने बिना बोले कहा “न बेटा न, सोचना भी मत”।
उस सिचुएशन में विकेट हाथ में होने के बावजूद पाकिस्तान का कप्तान रन नही ले पाया जबकि नॉन स्ट्राइक का बैट्समैन अपनी क्रीज के बहुत बाहर आ चुका था, और वहा से धोनी अगर स्ट्राइक एंड पर थ्रो करता तो रिस्क 50% था और अगर नॉन स्ट्राइक पर थ्रो करता तो रिस्क 25% होता। क्युकी उस वक्त तक किसी विकेटकीपर को इस बात का तजुर्बा या अंदाजा भी नहीं था कि एक कीपर हाथ में गेंद लिए नॉन स्ट्राइक के दौड़ते हुए बैट्समैन से रेस कर भी सकता है और उसे हरा भी सकता है। Ms Dhoni Wicket Keeping Record
इस एक गेंद के डॉट होने के बाद मिस्बाह के चेहरे की हवा उड़ चुकी थी, इंडिया पाकिस्तान के बीच के मैच का प्रेशर उसके चेहरे पर दिख रहा था जबकि वो अभी डॉमिनेटिंग पोजिशन में था, एक सेट बैट्समैन के लिए सिंगल लेना बहुत तकलीफ का काम नहीं होता, वरना उस मैच के कई साल बाद एक बैट्समैन ने ऐसी इनिंग भी खेली थी जब आखिरी दो गेंदों पर दो छक्के चाहिए थे और उस बैट्समैन ने मार भी दिया था।
आखिरी गेंद थी, पाकिस्तान के जो खिलाड़ी पिछली गेंद से पहले ग्राउंड में दौड़ कर घुसने के लिए तैयार खड़े थे उनकी टांगे अब ढीली पड़ चुकी थी। भारत का कप्तान धोनिया युवराज को बैट्समैन के सीने पर फील्ड करने के लिए खड़ा कर चुका था, उसके चेहरे के भाव पढ़ने में उस वक्त के सभी क्रिकेट विश्लेषक फेल हो चुके थे। धोनी फिर वही वाइड लाइन की सीधे में खड़ा था, और श्रीशांत स्टेडियम के बढ़ते शोर के बीच गेंद लेकर निकला, मिस्बाह इतने दबाव में था कि वो छू कर भागने को ही आखिरी ऑप्शन मान के चल रहा था, श्रीसंत ने शॉर्ट गेंद डाली, मिस्बाह इसके लिए तैयार नहीं था, गेंद बल्ले के निचले हिस्से पर मिसटाइम हुई और मिस्बाह रन पूरा होने से पहले निपटा दिए गए और मैच टाई हो गया। भारतीय खेमा उछल पड़ा इस पलटी हुई बाजी को देखकर। Ms Dhoni Wicket Keeping Record
जनता को अब ये समझना था की ये ससुरा बाल आउट क्या बला है जिससे टाई हुए इस मैच का फैसला होगा? पढ़े लिखे लौंडे लोग अंग्रेजी कॉमेंटेटर की बातो को ट्रांसलेट करके गांव वालो बोल्ट आउट का नियम समझा रहे थे और गांव वाले अभिभूत होकर उस लड़के के मां बाप को दुआए दे रहे थे कि सही पैसा खर्चा है फलनवा अपने लईका के ऊपर देखो कईसा इतनी तेज अंग्रेजी समझ गया।
बॉल आउट के लिए टॉस हुआ और पाकिस्तान ने टॉस जीतकर इंडिया को खेल शुरू करने के लिए कहा।
भारत के लिए पहला गेंदबाज कौन? टीम का सबसे बुजुर्ग सबसे अनुभवी सहवाग। सहवाग हाथ में गेंद लिए अभी भी समझ नही पा रहा था कि ये कौनसा नया नियम लेकर आए है आईसीसी वाले हमारे टाइम में तो मैच टाई होने पर घर भेज देते थे। Ms Dhoni Wicket Keeping Record
हंसते मुस्कुराते कंफ्यूज सहवाग ने गेंद फेकने की तैयारी की, मामला ये था कि दोनो टीमों के पांच पांच गेंदबाज को विकेट पर मारना था, पीछे एक विकेटकीपर खड़ा रहेगा जिसका काम सिर्फ गेंद पकड़ना है और इसके अलावा कीपर का कोई रोल था ही नही।पाकिस्तान ने अपने पांच गेंदबाजों में से चार मेन गेंदबाज चुने थे, और भारत की तरफ से धोनी ने रोबिन उथप्पा जैसे बंदे को चुना था जिसे पार्ट टाइम गेंदबाज भी नही समझा गया कभी।
सहवाग के हाथ में गेंद देखकर भारतीय फैंस को वो सारे नाम याद आए जो सहवाग से बेहतर ऑप्शन थे, इरफान आगरकर श्रीशांत जैसे प्रॉपर गेंदबाज की जगह सहवाग के हाथ में गेंद देने का लॉजिक कोई समझ पा नही रहा था।
सहवाग ने गेंद फेकी और सीधा स्टंप पर।
पाकिस्तान की तरफ से गेंदबाज चला गेंद फेकने तो वो चूंक गया,
अगली गेंद मिली हरभजन को, और उसी दौरान लोगो ने फर्क देखा कप्तानी का, प्रेजेंस ऑफ माइंड का, और खेल की बारीकी समझने की काबिलियत का।
पाकिस्तान का विकेटकीपर तीनो स्टंप से किनारे ऑफ साइड पर अच्छी खासी दूरी पर खड़ा था जैसे उसके बगल में तीन ठो स्लिप लगी हुई है और सामने से गेंद डेढ़ सौ किमी की आयेगी।
दूसरी तरफ धोनी विकेट के बिलकुल पीछे घुटनों के बल बैठा हुआ था, यानी भारतीय गेंदबाजों को उस हाड़ मांस के इंसान को निशाना लगाना था स्टंप अपने आप गिरता। Ms Dhoni Wicket Keeping Record
इस छोटी सी चूंक की वजह से पाकिस्तान के तीन नामी बॉलर एक बार भी स्टंप नही छू पाए और धोनी ने उथप्पा से गिल्लिया बिखेरवा दी। पूरी भारतीय टीम मैदान में खुशी से झूमने लगी, जो टीम अभी पांच गेंद पहले मैच से बाहर हो गई थी उसने सामने वाले के हलक में हाथ डाल कर मैच छीन लिया।
ये पहला मैच समझने वालो को बता गया कि ये पट्टा बालो वाला लाठी भाजने वाला धोनिया पूरी दुनिया के क्रिकेटर को कप्तानी, बैटिंग, और कीपिंग के नए तरीके सीखा के जायेगा।
धोनी के पास अमरत्व नही था, कई दफा खराब खेला है वो, एक मैच में तो मुझे भी चिढ़ हुई थी जब केदार जाधव या कोई था उसको सिंगल नही दिया था, पर धोनी शुरू से बहुत कॉन्फिडेंट रहता था अपनी एबिलिटी पर, उसको ये यकीन रहता की आखिरी दो ओवर में पच्चीस तीस भी चाहिए होंगे तो वो मार लेगा और दस में से सात बात उसने मार कर दिखाया भी है। Ms Dhoni Wicket Keeping Record
वो बंदा इतना जीनियस था कि हर गेंद में इन्वॉल्व रहता।
विकेटकीपिंग में लेट कट को रडार से बाहर का शॉट माना जाता है और विकेटकीपर से कोई उम्मीद नहीं की जाती कि वो रोक पाएगा, धोनी ने बाए पैर से अपना रडार और बढ़ा लिया था गेंद रोकने के लिए, एक मैच में बैट्समैन क्रीज में पहुंच चुका था और धोनी बाल और स्टंप के बीच कुछ इंच की दूरी बनाए हुए बैट्समैन के पैर देख रहा था, क्रीज में मौजूद बैट्समैन ने कुछ सेकंड के लिए अपना पैर हवा में किया था और धोनी ने गिल्लीया बिखेर दी। ऑस्ट्रेलिया से एक मैच था, जिसमे मिचेल मार्श बढ़िया खेल रहा था, एक शॉट के बाद मिचेल मार्श स्ट्राइक एंड पर आ रह था रन लेते हुए, गेंद उसके सर के पीछे की तरफ थी, मार्श धोनी को देख रहा था और धोनी बिलकुल शांत खड़ा था, फिर एक सेकंड के अंदर गेंद धोनी के दस्तानों पर पहुंची और शांत दिख रहे धोनी ने बिजली सी फुर्ती से मार्श को रन आउट कर दिया। मार्श को बहुत देर तक समझ ही नही आया कि हुआ क्या है। Ms Dhoni Wicket Keeping Record
पता नही कितने ऐसे मौके है जो हर बार की तरह मुझे ये पोस्ट करने बाद याद आयेंगे, तो लब्बो लुआब ये है कि धोनी कोई महामानव नही था, न अजेय था, न ही अंतिम सत्य था, पर उसने अपने करियर में छोटी छोटी कुछ ऐसी लकीरें खींची है कि उससे बड़ी छोड़िए उसके बराबर भी एक लकीर खींच लेने में कितने क्रिकेटर्स का करियर धन्य हो जाएगा।
2007 की हताश और उदास समर्थको को उसने हर आईसीसी ट्रॉफी जीतकर थमाई है जिसके हम हमेशा फाइनल्स हार जाते थे। रोहित जडेजा जैसे प्लेयर्स को तब तक बैक किया जब तक हम उनका मजाक उड़ाते उड़ाते उनकी तारीफ नही करने लगे। Ms Dhoni Wicket Keeping Record
कीपिंग के दौरान निगाह इस कदर पिच पर रहती थी कि धोनी का लिया हुआ डीआरएस अगर गलत लगने लगे तो थर्ड अंपायर भी बहुत देर तक चेक करता था। रिकॉर्ड बनाना अलग बात है, रूतबा बनाना अलग चीज है। आने वाली नस्ल जब जब नए नवेले खिलाड़ियों की तारीफों के पूल बांधेगी हमारे सामने तो हम बाहर अकड़ बहुत नाज से उनको बताएंगे कि “बेटा ये तो कुछ नही है, हमारे टाइम में एक धोनिया था जो..
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