Animal Movie Review In Hindi
Animal Movie Review In Hindi : आप जंगल में खड़े है, एक शेर एक जिंदा हिरण की गर्दन दात में दबाए चला जा रहा है, आप हिरण को बचाएंगे? नही, क्युकी वो नेचर में दखल देने जैसा होगा। क्या आप शेर को कोसेँगे या फिर हिरण के लिए मातम मनाएंगे? आप कुछ नही करेंगे क्योंकि आप जानते है कि सर्वाइवल और मॉरेलिटी दोनो एक जगह एक साथ एक्जिक्स्ट नही कर सकते। वांगा की इस फिल्म की कहानी है, एक बड़े राजा कि, जो एक बड़े रियासत का मालिक है। राजा साम्राज्य संभालने में परिवार नही संभाल पाया। उसका बेटा, राजा की उपेक्षा से इतना दुखी है कि उसे जिद चढ़ गई है कि वो राजा को दिखाएगा कि वो उसका बेटा उसका खून है। पर उसकी हरकतों से राजा उसे राज्य से निकलवा देता है। कुछ साल बाद जब राजा पर जानलेवा हमला होता है तो राजा का बेटा लौटता है। Animal Movie Review In Hindi
वो समझ जाता है कि बात अस्तित्व की है, अगर मारेंगे नही तो मारे जायेंगे। फिर बेटा राजा के हमलावरों का पीछा करना शुरू करता है, और वो जरा सा भी रहम नहीं करता। राजा जानता है कि इस खून खराबे और जंग से एक और जंग जन्म लेती रहेगी, पर बेटा सिर्फ एक ही सिद्धांत जानता है, मारो या मर जाओ। बेटे को जुनून है कि वो हमले के जिम्मेदार इंसान का सर काटकर राजा के कदमों में रखेगा ताकि राजा को यकीन हो कि वो इस राज्य और अपने परिवार की क्षमता करने लायक है। एनिमल की कहानी यही है, अगर इसे पुराने समय की गाथा के तौर पर दिखाया जाता तो बनाने में मुश्किल पेश आती पर दर्शको पर इंपैक्ट कुछ ज्यादा ही पड़ता।पर वांगा ने दूसरा रास्ता अपनाया, कि इसे मॉडर्न टाइम में सेट करने का, अब जितना सेट हुई है कहानी मॉडर्न टाइम में, उतना वांगा ने किया है, और जो नही हो आया वहा सिनेमाटिक लिबर्टी ओढ़ ली है।इसलिए अगर आप देखने जा रहे है तो इसी कहानी को आधार मान कर देखिए, तब आप समझेंगे की डायरेक्टर स्क्रीन पर दिखा क्या रहा है। Animal Movie Review In Hindi
फिल्म को ए सर्टिफिकेट मिला नही है, फिल्म बनाई ही गई है ए सर्टिफिकेट वाले दर्शको के लिए। इसलिए आपको बहुत खून खराबा देखने को मिलेगा। दो सीन है जो एक जैसे है, पर उन्हे फिल्माते वक्त वांगा ने दोनो के बीच में फर्क रखा है। एक सीन है होटल वाला, जो बीस मिनट के करीब लंबा है, और स्क्रीन पर अर्जन वैली बज रहा है और रणबीर का कैरेक्टर खून से नहा रहा है। ये सीन लाउड रखा गया है, म्यूजिक लाउड है, जो एडरलिन पंप करने के मकसद से फिल्माया गया है और थिएटर में लोगो का रिएक्शन बताता है कि संदीप कामयाब हुए है। दूसरा सीन है जिसके बॉबी का किरदार और रणवीर का किरदार आमने सामने होते है। दोनो हैंड तो हैंड कॉम्बेट चुनते है और दोनो ही अपनी तरफ के बंदूक थामे लोगो को दखल देने से मना कर देते है। फिर बैकग्राउंड में गाना बजता है बी प्राक का। Animal Movie Review In Hindi
जो एक्शन सीन के लिए तो नही ही इस्तेमाल होता, पर वांगा ने किया है। इंटरवल से पहले वाला जो सीन है, उसे आम तौर पर क्लाइमेक्स में डाला जाता है, ये परंपरा रही है हिंदी मसाला फिल्मों की। पर वांगा सिर्फ हिंसा और गोलियां नही दिखाना चाहते थे, उन्हे रणबीर कपूर के किरदार की जर्नी दिखानी थी, वो कब कैसे रिएक्ट करता है, उसके आस पास के लोगो का रिएक्शन भी वांगा ने वैसा ही रखा है जैसा बहुत से लोग फिल्म को प्रोब्लेमेटिक बताते हुए दे रहे है। हर फिल्म मेकर अपने फिल्म में एक किरदार चुनता है, वांगा ने विजय बलबीर का किरदार चुना है, और उस किरदार को वो किसी की खुशी के लिए बदलते नही है। वो जैसा है, उसी हिसाब से अपने आर्क की तरफ बढ़ता जाता है। फिल्म का क्लाइमैक्स कोई धुआधार एक्शन सीन नही है, जिससे शायद मसाला प्रेमियों को थोड़ी दिक्कत आएगी क्युकी वो इंटरवल से पहले वाले सीन के नशे से ही नही निकले है। पर वांगा को किसी से फर्क नही पड़ता है, उसने अपनी शर्तो पर अपने तरीके से फिल्म बनाई है। Animal Movie Review In Hindi
फिल्म के क्लाइमैक्स में सिर्फ डायलॉग है, कोई गोली बारी नही है, और वांगा ने पूरी फिल्म में खून खराबा इसलिए दिखाया है कि वो इस आखिरी इमोशनल सीन तक आ पाए। और मेरे आस पास बैठे लड़के सच में अनकंफर्टेबल हो रहे थे अनिल कपूर और रणबीर वाले लास्ट सीन पर। सुबकने की आवाजे आ रही थी।
फिल्म किसे कैसी लगेगी ये सब्जेक्टिव है,क्युकी फिल्म का टेस्ट इस पर निर्भर करता है कि आप क्या उम्मीद लेकर देखने जा रहे है, क्या सोचकर जा रहे है।
अगर आप ट्रेलर देखकर जा रहे है,तो ट्रेलर में दिखने वाला इमोशन और एक्शन आपको प्रचुर मात्रा में उपलब्ध कराया है डायरेक्टर ने। अगर आप ट्रेलर में रणबीर के प्रोब्लेम्टिक कैरेक्टर से दुखी,निराश और हताश होकर देखने जा रहे है तो आप बेवकूफ है, क्यू जा रहे है? रणबीर का किरदार सही है या गलत है, ये सवाल उठना ही नही चाहिए क्युकी वो किरदार है। सवाल तब होता जब फिल्म के बीच में अचानक से रणबीर के किरदार की आंखे खुल जाती और वो बाप के पैर पकड़ कर कसम खाता कि अब मैं कभी बंदूक नही उठाऊंगा। Animal Movie Review In Hindi
पर ऐसा कुछ नही होता है।सारे किरदार अपने आर्क के हिसाब से बिहेव करते है और बदलते भी है। हमे अनिल कपूर की आंखो में उनकी जवानी और बुढ़ापा दिखता है समझ आता है। बॉबी का किरदार भी रणबीर के किरदार के बराबर ही है, बस एक बारीक फर्क नजर आता है, पर ये भी मुमकिन है कि आगे जाकर रणबीर का किरदार भी बॉबी जैसा ही हो जाए। क्युकी रणबीर अपने पिता की जान बचाने के लिए हिंसा पर उतारू है, और बॉबी अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए, पर हकीकत में दोनो ने बहाने बना रखे है, जबकि सच ये है कि उन दोनो को ही हिंसा पसंद है। बॉबी का किरदार मौत के मुहाने पर, ना पीछे हटता है और न ही एक फिल्मी विलेन की तरह चीटिंग करता है। Animal Movie Review In Hindi
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बॉबी का किरदार छोटा है, पर बहुत इंपैक्टफूल है। वांगा ने रणबीर के किरदार को हीरो और बॉबी के किरदार को विलेन की तरह नही दिखाया है, दोनो के बीच अस्तित्व और बदले की लड़ाई है, और अगर हम पहले सीन से बॉबी के किरदार की कहानी देखते तो हमारी सहानुभूति रणबीर के किरदार के लिए नही बल्कि बॉबी के किरदार के लिए होती। वांगा यही प्वाइंट रखना चाहते है फिल्म के जरिए से, कि विलेन हीरों जैसा कुछ नही होता, हम सब सभ्यता की खाल ओढ़े हुए जानवर है जो परिस्थिति आने पर, जानवर की ही तरह ही बिहेव करेंगे। सबके अंदर के जानवर के खूंटा तोड़ने की परिस्थिति अलग होती है। पर सब तोड़ने के लिए ही बने है।